Monday 20 October 2014

दीपावली के शुभ अवसर पर स्थाई लक्ष्मी चाहिए

 दीपावली के लिए शुभ हैं ये 11 सामान्य चीजें, मिलती है स्थाई लक्ष्मी

दीपावली के लिए शुभ हैं ये 11 सामान्य चीजें, मिलती है स्थाई लक्ष्मी

दीपावली पर पूजन में उपयोग की जाने वाली शुभ वस्तुएं महालक्ष्मी की स्थाई कृपा दिलवा सकती हैं। स्थाई लक्ष्मी का अर्थ यह है कि घर में सदैव महालक्ष्मी का वास होगा और कभी भी धन की कमी नहीं होगी। यहां जानिए सामान्य पूजन सामग्री (दीपक, प्रसाद, कुमकुम, फल-फूल आदि) के अतिरिक्त ऐसी 11 चीजें जो आपको लक्ष्मी की स्थाई कृपा दिलवा सकती हैं...

वंदनवारआम, पीपल और अशोक के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे दीपावली के दिन पूर्वीद्वार या मुख्य पर बांधना चाहिए। इस संबंध में मान्यता है कि सभी देवी-देवता इन पत्तियों की सुगंध से आकर्षित होकर आपके घर में प्रवेश करते हैं। दीपावली की वंदनवार पूरे 31 दिनों तक बांधे रखना चाहिए।

वंदनवार में लगी अशोक और आम की पत्तियों के प्रभाव से मुख्य द्वार के आसपास नकारात्मक ऊर्जा भी सक्रिय नहीं हो पाती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।


स्वस्तिककिसी भी पूजन कर्म में स्वस्तिक का चिह्न अवश्य बनाया जाता है। स्वस्तिक की चार भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं को दर्शाती हैं। साथ ही, ये चार भुजाएं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमों का प्रतीक भी मानी गई हैं। यह चिह्न केसर, हल्दी या सिंदूर से बनाया जा सकता है। इसके प्रभाव से श्रीगणेश के साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है। यदि मुख्य द्वार स्वस्तिक बनाने से घर के कई वास्तुदोष भी दूर होते हैं।

दीपावली के लिए शुभ हैं ये 11 सामान्य चीजें, मिलती है स्थाई लक्ष्मी

ज्वार यानी जवारे का पोखरामान्यता है कि दीपावली के दिन ज्वार का पोखरा घर में रखने से धन में वृद्धि होती है, सभी देवी-देवताओं के साथ ही माता अन्नपूर्णा की कृपा भी प्राप्त होती है। अन्नपूर्णा और लक्ष्मी कृपा से घर में किसी भी तरह के अनाज की कमी नहीं आती है। ज्वार का पोखरा बनाने के लिए दीपावली से पहले एक दीपक में मिट्टी लेकर उसमें गेहूं के दाने डाल दें, कुछ दिन बाद ये गेहूं अंकुरित हो जाएंगे और मिट्टी के ऊपर हरी-हरी घास दिखाई देने लगेगी। इसी घास के दीपक को पूजन में रखना चाहिए।

तिलकपूजन के समय तिलक लगाया जाता है ताकि मस्तिष्क में बुद्धि, ज्ञान और शांति का प्रसार हो। कोई भी पूजन कर्म तिलक के बिना पूरा नहीं होता है। माथे पर जहां तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञा चक्र होता है और इस स्थान पर तिलक लगाने से मन की एकाग्रता बढ़ती है। पूजन के समय मन व्यर्थ की बातों में उलझे, इसलिए तिलक लगाकर मन को एकाग्र किया जाता है।


पानये भी दीप पर्व के शुभ-मांगलिक वस्तुएं हैं। पान खाने पर जिस प्रकार हमारे पेट की शुद्धि होती है, पाचन तंत्र को मदद मिलती है, ठीक उसी प्रकार पूजन के समय पान रखने पर घर की शुद्धि होती है और वातावरण सकारात्मक और पवित्र बनता है।

चावल यानी अक्षतपुराने समय से ही पूजन कार्यों में चावल का काफी अधिक महत्व बताया गया है। चावल को अक्षत कहा जाता है यानी जो खंडित नहीं है। इस वजह से चावल को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक कार्यों में चावल एक धान के रूप में भी उपयोग किया जाता है। पूजन में चावल रखने के संबंध में एक मान्यता यह भी है यह हमारे घर पर कोई काला दाग भी नहीं लगने देता है यानी समाज में हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। तिलक लगाते समय चावल का भी उपयोग किया जाता है, इसका यही भाव है कि तिलक लगवाने वाले व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में पूर्ण मान-सम्मान की प्राप्ति हो।

कौड़ीलक्ष्मी पूजन की थाली में कौड़ी रखने की पुरानी परंपरा है, क्योंकि यह धन और श्री यानी लक्ष्मी का प्रतीक होती है। कौड़ी को तिजोरी में रखने से लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

बताशे या गुड़- ये भी दिवाली पर्व के मांगलिक चिह्न हैं। लक्ष्मी-पूजन के बाद गुड़-बताशे का दान करने से धन में वृद्धि होती है। घर-परिवार में सुख और समृद्धि का विस्तार होता है, इसी वजह से प्रसाद के रूप में बताशे भगवान को अर्पित किए जाते हैं। पूजन के बाद प्रसाद के रूप में बताशे यानी मिठाई अन्य लोगों में वितरित करनी चाहिए। जितने अधिक लोगों तक हम प्रसाद पहुंचाते हैं, हमें उतना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इसका एक संदेश यह भी है कि दीपावली पर मिठाई से सभी के मुंह मीठे हो जाए और सभी का मन प्रसन्न रहे।

लच्छा या धागायह मांगलिक चिह्न संगठन की शक्ति का प्रतीक है, जिसे पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है। इस धागे को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, इसके प्रभाव से हम कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यह लाल रंग का धागा होता है और इसे बांधने से कलाई पर हल्का सा दबाव बनता है जो कि स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्रदान करता है।

ईख या गन्नामहालक्ष्मी का एक रूप गजलक्ष्मी भी है और इस रूप में वे ऐरावत हाथी पर सवार दिखाई देती हैं। लक्ष्मी के ऐरावत हाथी की प्रिय खाद्य-सामग्री ईख यानी गन्ना है। दीपावली के दिन पूजन में गन्ना शामिल करने से ऐरावत प्रसन्न रहते हैं और ऐरावत की प्रसन्नता से महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। पूजन पूर्ण होने पर प्रसाद के रूप में गन्ने का सेवन भी किया जाता है। इसका भाव यही है कि जिस प्रकार गन्ने में मिठास होती है, ठीक उसी प्रकार हमें भी अपने व्यवहार में और वाणी मिठास रखनी चाहिए। यदि हम वाणी में मिठास रखेंगे तो घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

रंगोली- लक्ष्मी पूजन के स्थान, प्रवेश द्वार और आंगन में रंगों के संयोजन के द्वारा धार्मिक चिह्न कमल, स्वास्तिक, कलश, फूलपत्ती आदि अंकित कर रंगोली बनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी रंगोली की ओर जल्दी आकर्षित होती है। रंगोली से बनाए गए शुभ चिह्न घर के वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। रंगोली के प्रभाव से घर की सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है।

http://religion.bhaskar.com/news-hf/AK-parampara-10-things-that-we-should-keep-in-laxmi-pujan-on-deepawali-2014-4780051-NOR.html



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