Friday 10 October 2014

सुबह और रात के समय क्या देखना है शुभ और अशुभ

सुबह और रात के समय क्या देखना है शुभ और क्या देखना है अशुभ

महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजन-पाठ के साथ ही कई और बातों का भी ध्यान रखना अनिवार्य है। यहां जानिए महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले खास उपाय। ये उपाय स्वयं लक्ष्मी ने देवराज इंद्र को बताए थे। महाभारत के शांति पर्व में देवराज इंद्र और महालक्ष्मी के संवाद दिए गए हैं। इन संवादों में बताया गया है कि कैसे काम करने वाले लोगों के घर लक्ष्मी निवास नहीं करती हैं। आज भी जिन घरों में इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है, वहां दरिद्रता का वास होता है। लक्ष्मी ने बताया कि रात को सोते समय दही और सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए और सुबह-सुबह घी, शहद, तुलसी जैसी पवित्र वस्तुओं और हाथों की दोनों हथेलियों का दर्शन करना चाहिए।

महाभारत में दिए गए प्रसंग के अनुसार एक समय जब देवी लक्ष्मी असुरों का साथ छोड़कर देवराज इंद्र के यहां निवास करने के लिए पहुंची थीं, तब इंद्र ने लक्ष्मी से पूछा था कि किन कारणों से आपने दैत्यों का साथ छोड़ दिया है? इस प्रश्न के जवाब में लक्ष्मी ने देवताओं के उत्थान तथा दानवों के पतन के कारण बताए थे।

इंद्र और लक्ष्मी के संवाद से जुड़ी कुछ और खास बातें...


इंद्र ने देवी लक्ष्मी से असुरों पर कृपा करने का कारण पूछा।
 

लक्ष्मी ने बताया जो लोग व्रत-उपवास करते हैं। प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व बिस्तर का त्याग कर देते हैं, दिन के समय कभी सोते नहीं हैं, इस सभी बातों का ध्यान रखने वाले लोगों के यहां लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं।

महालक्ष्मी ने इंद्र को बताया कि जो पुरुष दानशील, बुद्धिमान, भक्त, सत्यवादी होते हैं, उनके घर में मेरा वास होता है। जो लोग ऐसे कर्म नहीं करते हैं, मैं उनके यहां निवास नहीं करती हूं।
 
लक्ष्मी कहती हैं कि पूर्व काल में मैं असुरों के राज्य में निवास करती थीं, लेकिन अब वहां अधर्म बढ़ने लगा है। इस कारण मैं देवताओं के यहां निवास करने आई हूं।
 
इंद्र के पूछने पर महालक्ष्मी ने कहा कि जो लोग धर्म का आचरण नहीं करते हैं। जो लोग पितरों का तर्पण नहीं करते हैं। जो लोग दान-पुण्य नहीं करते हैं, उनके यहां मेरा निवास नहीं होता है।


सुबह और रात के समय क्या देखना है शुभ और क्या देखना है अशुभ

महाभारत में महालक्ष्मी ने बताया है कि जहां मूर्खों का आदर होता है, वहां उनका निवास नहीं होता। जिन घरों में स्त्रियां दुराचारिणी यानी बुरे चरित्र वाली हो जाती हैं, जहां स्त्रियां उचित ढंग से उठने-बैठने के नियम नहीं अपनाती हैं, जहां स्त्रियां साफ-सफाई नहीं रखती हैं, वहां लक्ष्मी का निवास नहीं होता है।

देवी लक्ष्मी ने बताया कि वह स्वयं धनलक्ष्मी, भूति, श्री, श्रद्धा, मेधा, संनति, विजिति, स्थिति, धृति, सिद्धि, समृद्धि, स्वाहा, स्वधा, नियति तथा स्मृति हैं। धर्मशील पुरुषों के देश में, नगर में, घर में हमेशा निवास करती हैं।

लक्ष्मी उन्हीं लोगों पर कृपा बरसाती हैं जो युद्ध में पीठ दिखाकर नहीं भागते हैं। शत्रुओं को बाहुबल से पराजित कर देते हैं। शूरवीर लोगों से लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं।

जिन घरों में खाना बनाते समय पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जाता है, जहां जूठे हाथों से ही घी को छू लिया जाता है, वहां मैं निवास नहीं करती हूं।

लक्ष्मी ने बताया जिन घरों में बहु अपने सास-ससुर पर नौकरों के समान हुकुम चलाती है, उन्हें कष्ट देती हैं, अनादर करती है, मैं उन घरों का त्याग कर देती हूं।

जिस घर में पत्नी अपने पति को प्रताड़ित करती है, पति की आज्ञा का पालन नहीं करती है, पति के अतिरिक्त अन्य पुरुषों से अनैतिक संबंध रखती है, मैं उन घरों का त्याग कर देती हूं।

जो लोग अपने शुभ चिंतकों के नुकसान पर हंसते हैं, उनसे मन ही मन द्वेष भाव रखते हैं, किसी को मित्र बनाकर उसका अहित करते हैं तो मैं उन पर लोगों कृपा नहीं बरसाती हूं। ऐसे लोग सदैव दरिद्र रहते हैं।

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