(फाइल फोटो)
जेट एयरवेज की एक पायलट ने शुक्रवार 3 अक्टूबर दोपहर आसमान में एक अन-आइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) देखने का दावा किया है। पायलट ने दावा किया है कि लगभग 26,300 फुट की ऊंचाई पर वह ऑब्जेक्ट चमक रहा था। उस समय प्लेन 26,000 फुट की ऊंचाई पर 310 डिग्री के ऐंगल से उड़ रहा था। पायलट ने ऑब्जेक्ट का रंग हरा और सफेद बताया है। पायलट ने घटना रात 12.45 बजे की बताई है।
एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक, चेन्नई बेस्ड पायलट महिमा चौधरी एयरवेज की फ्लाइट 2491 को लेकर पुणे से अहमदाबाद के लिए रवाना हुई थीं। यूएफओ को देखने के बाद पायलट ने मुंबई एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सुपरवाइजरी ऑफिसर को इसकी जानकारी दी। बताया गया है कि इस यूएफओ को पुणे से 68 नॉटिकल माइल्स (लगभग 126 किलोमीटर) की ऊंचाई पर देखा गया। उसका रंग हरा और सफेद बताया गया है। हालांकि मुंबई एटीसी और डीजीसीएए ने इस बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया है। सूत्रों के मुताबिक, डीजीसीए के अधिकारियों ने महिमा से संपर्क करने की भी कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
पहले भी भारत में देखे गए यूएफओ
(अमित के कैमरे से खींची गईं तस्वीर)
देश में इसके पहले भी यूएफओ देखे गए हैं। लखनऊ के अमित त्रिपाठी ने इसी साल जुलाई में अपनी बालकनी से अपने सेलफोन में सूर्यास्त की तस्वीर लेते समय सूरज के नजदीक एक चमकीला ऑब्जेक्ट देखा था। उन्होंने अपने सेलफोन में उसके फोटो भी कैद किए थे। उनका दावा था कि वह ऑब्जेक्ट लगभग 40 मिनट तक चमकता रहा।
लखनऊ के राजाजीपुरम ई-ब्लॉक के सेक्टर-11 निवासी अमित त्रिपाठी ने एक अजीब रोशनी वाली आकृति तब देखी, जब वे अपनी बालकनी में बैठकर मोबाइल से सनसेट की तस्वीर खींच रहे थे। तभी उन्हें सूरज के बगल में एक रोशनी वाली आकृति दिखाई दी। अमित ने इस बारे में बताया, 'शाम को बारिश हुई थी। 6:44 का टाइम था। सनसेट बढ़िया दिख रहा था। तभी एक गोल ऊपर आया और राइट-लेफ्ट होने लगा। मैंने सोचा कि वीडियो ऑन करूं, लेकिन हो नहीं पाया। मैंने चार-पांच फोटो खींची।'
सेना के जवानों ने भी लद्दाख सीमा पर देखा था यूएफओ
(फाइल फोटोः सेना के जवानों द्वारा देखे गए यूएफओ की तस्वीर)
भारत-चीन सीमा पर लद्दाख सेक्टर में धमचौक के निकट लागनखेल इलाके में यूएफओ देखा गया। सेना मुख्यालय को स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी दी है। इसके बाद सेना के जवानों ने भी इसे देखा। यूएफओ ((उडऩे वाली अज्ञात चीज)) भारत-चीन की सीमा में करीब पांच घंटे तक पीली आभा के साथ उड़ता रहा। बाद गायब हो गया। पिछले साल आईटीबीपी की यूनिट ने थाकुंग के निकट पांगओन टीसो लेक के निकट यूएफओ देखा था। इस संबंध में साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट का कहना है कि यह यूएफओ नहीं बल्कि बृहस्पति और शुक्र गृह हैं।
भारत में पहले और कब दिखा यूएफओ
11 जुलाई को गुवाहाटी, 12 जुलाई को शामली और 14 जुलाई को टुंडला में यूएफओ के देखे जाने की खबर है।
क्या होते हैं यूएफओ
आकाश में उड़ती किसी अज्ञात वस्तु को यूएफओ (UFO) कहा जाता है। इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं का आकार किसी डिस्क या तश्तरी के समान होता है या ऐसा दिखाई देता है, जिस कारण इन्हें उड़नतश्तरीयों का नाम मिला। कई चश्मदीद गवाहों के अनुसार इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं के बाहरी आवरण पर तेज प्रकाश होता है और ये या तो अकेले घूमते हैं या एक प्रकार से लयबद्ध होकर और इनमें बहुत गतिशीलता होती है। ये उड़न तश्तरीयां बहुत छोटे से लेकर बहुत विशाल आकार तक हो सकतीं हैं।
1940 में मिला था 'उड़नतश्तरी' नाम
उड़नतश्तरी शब्द 1940 के दशक में निर्मित किया गया था और ऐसी वस्तुओं को दर्शाने या बताने के लिए प्रयुक्त किया गया था जिनके उस दशक में बहुतायत में देखे जानें के मामले प्रकाश में आए। तब से लिकर अब तक इन अज्ञात वस्तुओं के रंग-रूप में बहुत परिवर्तन आया है लेकिन उड़नतश्तरी शब्द अभी भी प्रयोग में है और ऐसी उड़ती वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो दिखनें में किसी तश्तरी जैसी दिखाई देती हैं और जिन्हें धरती की आवश्यकता नहीं होती।
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